यदि छोटे बच्चों के दांतों का ख्याल ठीक से न रखा जाये, तो इससे जल्दी ही उनके दांतों में कीड़े लगने का खतरा बना रहता है | जिन बच्चों की उम्र एक से तीन साल की होती है, खासकर उन बच्चों के दांतों का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी होता है, क्योंकि वह अपने दांतों का खुद से ख्याल नहीं रख सकते है | ऐसे में उनके माता-पिता को अपने बच्चों के दांतों के साफ़-सफाई का ध्यान रखना पड़ता है | छोटे बच्चों के ओरल हेल्थ का ख्याल आपको उनके दांत के निकलने के बाद शुरू कर देना चाहिए | दांत के निकलने से पहले उनके मसूड़े और जीभ की साफ़-सफाई पर ध्यान देना ज़रूरी होता है | ऐसा करने से बच्चों के दांत और मसूड़े दोनों ही हमेशा स्वस्थ रहते है | आइये जानते है ऐसे ही टिप्स के बारे में, जो करें छोटे बच्चे के हेल्थ को बरकरार रखने में मदद :-
- दिन में दो बार ब्रश करने की आदत डालें
जब आपके बच्चे के दांत निकलने लगे तो दिन में दो बार ब्रश ज़रूर करवाएं, सुबह उठने के बाद और रात को सोने से पहले | ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों के मसूड़े बेहद नाज़ुक होते है, जिन पर आसानी से कीड़े लगने का खतरा बना रहता है, इसलिए दिन में दो बार ब्रश करने की आदत को ज़रूर डलवाएं | इसके साथ ही जीभ को भी साफ़ करना बिलकुल न भूले |
- दांतों का फ्लॉस ज़रूर करें
जब आपके बच्चे के मुंह में 3 से 4 दांत निकल आये तो उनकी फ्लॉस करना शुरू कर दें | ऐसा करने से दांतों के बीच जमा खाना निकल जयेगा और दांतों में कीड़े भी नहीं लगेगे |
- रात को सोते समय दूध की बोतल न दें
कुछ मां भी ऐसी होती है जो सोने के समय बच्चे के मुंह में दूध का बोतल लगा देती है, लेकिन उसके मुंह से दूध के बोतल को निकालना भूल जाती है, जिसके चलते बच्चों के दांत अधिक समय तक शुगर के संपर्क में रहते है. जो दांतों में कैविटी के उत्पन्न होने के अवसर बड़ा देती है | इसलिए बच्चे के मुंह में दूध की बोतल को लगा न छोड़ें और कप में दूध को पीने की आदत को डलवाएं |
- बच्चों को हेअल्थी फ़ूड ही सेवन करवाएं
एक बात का खास ध्यान रखें कि बच्चे को कभी भी बचपन से ही ब्रेड, बिस्किट्स, चॉकलेट, नूडल जैसे तैलीय फ़ूड की आदत न डलवाएं | उनके आहार को हेअल्थी रखने की कोशिश करें | अधिक चॉक्लेट खाने से यह दांतों में चिपका रह जाता है, जो कैविटी को बढ़ावा देने का कार्य करता है | बच्चों के दांतों को हेअल्थी रखने के लिए उनके आहार में विटामिन डी, सी, बीटा, कैरोटिन, कैल्शियम जैसे पौष्टिक तत्वों को शामिल करें |
- पैसिफायर का इस्तेमाल न करें
बच्चों को पैसिफायर बिलकुल भी न पकड़ाएं, क्योंकि यह बार-बार नीचे गिरते रहते है और बचे ऐसे ही इससे अपने मुंह में डाल लेते है, जो ओरल हेल्थ को ख़राब करने का काम करता है | पैसिफायर रबर या फिर सिलिकॉन का बना होता है, जिसे टीथर भी कहा जाता है | एक पेरेंट्स अक्सर बच्चे के दांत निकलने के बाद उसे पकड़ा देते है, जिससे बच्चे बिना साफ़ किये अपने दांतों से चबाते रह जाते है | ऐसे में बच्चे के दांतों में कई तरह की बीमारी के लगने की संभावना बढ़ जाती है | इसलिए जब आपका बच्चा 1 साल का हो जाये तो उससे पैसिफायर देना बिलकुल बंद कर दें |
यदि यह सब करने के बाद भी आपके बच्चे के दांतों में कीड़े लग गए है तो बेहतर है की आप किसी डेंटिस्ट के पास जाएं और अपने बच्चे का इलाज करवाएं | इसके लिए आप एसएचए डेंटल क्लिनिक से भी परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर ज्योति मित्तल ओरल और माक्सिलोफेसिअल सर्जरी में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 13 सालों से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही एसएचए डेंटल क्लिनिक नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |